वैदिक मंत्र

वैदिक ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों के स्थान, भाव, मेल और ग्रहों की दशा के कारण उत्पन्न होनेवाली जटिल समस्याओं के लिए तीन प्रमुख उपचारों या उपायों को मान्यता दी गयी है। ये मंत्र, यंत्र और रत्न हैं

 

 

मंत्र अक्षरों के संयोजन से निर्मित और संरचित है जो कि, जब सही ढंग से स्पष्ट उच्चारण होता है , सार्वभौमिक ऊर्जा को व्यक्ति के आध्यात्मिक ऊर्जा में केंद्रित करतें है । मंत्र का सार ‘मूल शब्द ‘ या ‘ बीज ‘ कहलाता है और इसके द्वारा उत्पन्न शक्ति को “मंत्र शक्ति” कहा जाता है । प्रत्येक मूल शब्द एक विशेष ग्रह या ग्रह स्वामी से संबंधित है। मंत्र का उच्चारण “मंत्र योग” या “मंत्र जप ” कहलाता है। मंत्र जप ध्वनि ऊर्जा, सांस और इन्द्रियों में समन्वय स्थापित करता है। मन्त्रों के उच्चारण से ध्वनि तरंगे उत्पन्न होती है, जो एक शक्तिशाली ऊर्जा है, और जीवन में मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर में बदलाव के लिए उपयोगी है।

मंत्र का उपयोग

मन्त्रों की शक्ति उसके शब्दों में है। भक्ति और विश्वास के साथ मन्त्रों के नियमित जप से उस से सम्बन्धित देवताओं या ग्रह स्वामी की सकारात्मक और रचनात्मक ऊर्जा अपनी ओर आकर्षित होती है और नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति में सहायता करता है। यह अपनी समस्याओं के समाधान हेतु एक दिव्य साधन है। यह आपको सार्वभौमिक कंपन ऊर्जा के साथ समकालीन करता है। मन्त्र अवचेतन मन को सजग करता है, सचेतक चेतना को जागृत करता है और अपने वांछित लक्ष्य या उद्देश्य की ओर आकर्षित करता है। शारीरिक स्तर पर , यह आपकी तंत्रिकाओं को शांत करता है, ग्रंथियों को सक्रिय बनाता है, रक्तचाप सामान्य करता है और शरीर में विभिन्न जीवन प्रणालियों को अनुरूप करता है। मन्त्रों के जप से चित्त में आत्मविश्वास और एकाग्रता की वृद्धि होती है।

मंत्र के लाभ

आपका जन्म चार्ट या कुंडली आपके अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार के ग्रहों को दिखाता है। फलस्वरूप, वे आपके जीवन के प्रासंगिक हिस्सों को अनुकूल या प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं; यह आपका स्वास्थ्य, करियर, रिश्ते इत्यादि हो सकता है। मंत्रों का उपयोग लाभकारी और हानिकारक दोनों ग्रहों के लिए किया जा सकता है। इन्हें लाभकारी ग्रह की ताकत बढ़ाने और हानिकारक ग्रहों के हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। मंत्रों के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि वे केवल सकारात्मक प्रभाव देते हैं। उनका उपयोग स्वास्थ्य, संपत्ति, भाग्य, सफलता में वृद्धि और आलस्य, बीमारियों और परेशानियों से दूर होने के लिए किया जा सकता है।

मंत्र जप कैसे करें

मंत्र की सफलता मंत्र के प्रकार, प्रयोजन और जप संख्या पर निर्भर करती है। मंत्रों का शुद्ध और स्पष्ट उच्चारण भी इसकी सफलता के लिए आवश्यक है। जब मंत्रों का उपयोग किसी विशेष ग्रह के तुष्टिकरण के लिए होता है, तो मंत्र का जप एक विशिष्ट संख्या में उस ग्रह या ग्रह स्वामी के आधार पर किया जाता है। मंत्र जप का प्रयोजन यह है कि इसके उच्चारण से आवश्यक ध्वनि तरंगों का उत्पादन होता है, जो संबंधित शक्तियों के सक्रिय करण के लिए उपयोगी है।

 

 

 

गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों की माँ मन जाता है। गायत्री मंत्र सभी प्रकार के अंधकार का विध्वंसक है। इसे ‘ महामंत्र ‘ या ‘ गुरु मंत्र ‘ भी कहा जाता है। गायत्री महामंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्ता ॐ के लगभग बराबर मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मन्त्र ‘ॐ भूर्भुवः स्वः’ और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के मेल से बना है।

 

 

गायत्री मंत्र सर्वप्रथम ब्रम्हऋषि विश्वामित्र के समक्ष प्रकट किया गया। गायत्री मंत्र का मूल महत्व सूर्य देवता की उपासना है। वेद के अनुसार, गायत्री मंत्र का जप प्रातःकाल और सांयकाल में सूर्य देवता के समक्ष किया जा सकता है। गायत्री मंत्र का जाप दिन में तीन बार प्रातः, मध्यान्ह और संध्या को किया जा सकता है। प्रातःकाल में , यह भगवान ब्रम्हा को समर्पित है और गायत्री कहलाती है, मध्यान्ह में यह भगवान विष्णु को समर्पित है और सावित्री कहलाती है; जबकि सांयकाल में भगवान शिव को समर्पित है और सरस्वती कही जाती है। मुख्यतः गायत्री मंत्र में २४ अक्षर होते हैं। गायत्री मंत्र भौतिक, भावनात्मक और मानसिक चिकित्सा का मंत्र है। सूक्ष्म कर्मों को शुद्ध करना, बाधाओं से संरक्षण, आध्यात्मिक जागृति और आत्म-बोध का मंत्र है।

गायत्री मंत्र के लिए प्रयोग की जाने वाली जप माला

रूद्राक्ष माला

गायत्री मंत्र के लिए प्रयोग किए जाने वाले फूल

सभी प्रकार के लाल फूल

गायत्री मंत्र के लिए कुल जप संख्या

१,२५००० बार

गायत्री मंत्र जप का श्रेष्ठ समय या मुहूर्त

प्रातः रोहिणी मृगषिरा, उत्तरा भाद्रपद, उत्तरा फाल्गुनी, रेवती मूल स्वाति

गायत्री मंत्र की देवी

वेद माता गायत्री देवी को गायत्री मंत्र की देवी माना गया है। वह देवी सरस्वती, ज्ञान और चार वेदों की दाता, की अवतार हैं। गायत्री देवी लाल कमल पर विराजमान हैं जो संपत्ति का सूचक है; वह एक श्वेत हंस के साथ हैं जो शुद्धता का प्रतिक है; वह एक हाथ में पुस्तक और एक में औषधि धारण किये हुए हैं जो क्रमशः ज्ञान और स्वास्थ्य का सूचक है। उन्हें ५ शीर्ष के साथ दिखाया गया है जो ‘पंच प्राण ‘ या ५ इन्द्रियों के प्रतिक के रूप में हैं। गायत्री मंत्र सूर्य को समर्पित है। सूर्य को सवित्र भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र प्रकाश और जीवन के अनंत स्रोत सूर्य की प्रार्थना है जो सभी विषयों में बुद्धि का मार्गदर्शन करके हमारी चेतना जगाता है। सविता यानि गायत्री सवित्र या सूर्य के पीछे की प्रेरक शक्ति है।

गायत्री मंत्र के लाभ

गायत्री मंत्र का जप सार्वभौमिक चेतना की प्राप्ति और सहज ज्ञान युक्त शक्तियों के जागृति के लिए होता है। यह माना जाता है और कहा गया है कि गायत्री मंत्र का नियमित जप प्राण शक्ति सक्रिय करता है, अच्छा स्वास्थ्य, ज्ञान, मानसिक शक्ति, समृद्धि और आत्मज्ञान प्रदान करता है। परम सत्य की ओर अग्रसर करके ईश्वर का परम बोध कराता है। गायत्री मंत्र में बाधाएं दूर करने, रोगों से बचाने और संकट से सुरक्षा की शक्ति है। ऐसा माना जाता है की गायत्री मंत्र के २४ प्रकार है जो अलग – अलग प्रयोजन के लिए जपे जाते हैं।

गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र वेद के मौलिक सिद्धांत का प्रचार करता है कि एक मनुष्य किसी भी सिद्ध पुरुष या अवतार के बिना अपने स्वयं के प्रयासों से अपने जीवन में ईश्वर का बोध प्राप्त कर सकता है।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् |